परिवहन संचार एवं व्यापार – Notes (Transportation, Communication and Trade)
परिवहन, संचार एवं व्यापार
परिवहन का महत्व
- वस्तुओं और सेवाओं के आवागमन को संभव बनाता है।
- उत्पादन और उपभोग (मांग एवं आपूर्ति) के बीच संबंध स्थापित करता है।
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा के रूप में कार्य करता है।
परिवहन के प्रकार
सड़कमार्ग
- सबसे सामान्य और सुलभ परिवहन साधन।
- भारत में सड़क नेटवर्क की कुल लंबाई 33 लाख किलोमीटर।
- प्रमुख सड़कें:
- ग्रैंड ट्रंक रोड: कोलकाता से अमृतसर (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 और 2)।
- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1A: अमृतसर से लेह।
सड़कों के विकास में ऐतिहासिक योगदान:
- हड़प्पा-मोहनजोदड़ो: प्रारंभिक सड़कों के प्रमाण।
- बुद्धकालीन शासक: सड़क निर्माण का प्रोत्साहन।
- अंग्रेज शासनकाल: नागपुर सड़क योजना।
- स्वतंत्रता के बाद: प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना।
सड़कों के प्रकार
- राष्ट्रीय राजमार्ग
- देश के विभिन्न भागों को जोड़ते हैं।
- कुल 228 राजमार्ग; लंबाई 66,590 किलोमीटर।
- सबसे लंबा राजमार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 (2369 किमी)।
- इसके अंतर्गत देश की कुल सड़कों का 2% भाग शामिल है।
- राज्य राजमार्ग
- राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ते हैं।
- निर्माण एवं देखरेख राज्य सरकार करती है।
- इसके अंतर्गत देश की कुल सड़कों का 4% भाग शामिल है।
- जिला सड़कें
- जिला मुख्यालयों और शहरों को जोड़ती हैं।
- इसके अंतर्गत देश की कुल सड़कों का 14% भाग शामिल है।
- ग्रामीण सड़कें
- यह गाँवों को जोड़ने वाली सड़कें हैं।
- इसके अंतर्गत देश की कुल सड़कों का 80% भाग शामिल है।
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत विकास।
- सीमांत सड़कें
- सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण, सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण।
- सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा रखरखाव।
सड़कमार्ग परिवहन की विशेषताएँ
- सर्वसुलभ और सस्ता साधन, कम दूरी के लिए उपयुक्त।
- मैदानी क्षेत्रों में सरल निर्माण।
- पहाड़ी क्षेत्रों में कठिनाई और घुमावदार सड़कें।
- यह अन्य परिवहन साधनों का पूरक है, रेल, जल, और वायुमार्ग के लिए कड़ी का काम करता है।
- विकास योजनाएँ:
- स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता को जोड़ता है)।
- उत्तर-दक्षिण और पूरब-पश्चिम गलियारा।
- एक्सप्रेस वे (अत्याधुनिक तेज गति वाले राजमार्ग)।
सड़क परिवहन का महत्व
- वस्तुओं और सेवाओं का घर-घर तक पहुँचना।
- यात्री और माल ढुलाई में वृद्धि:
- माल ढुलाई:- 6 अरब टन (1950-51) से 600 अरब टन किलोमीटर (2003-04)।
- यात्रियों की आवाजाही:- 23 अरब (1950-51) से 3135 अरब यात्री किलोमीटर (2003-04)।
भारतीय रेलमार्ग
रेल परिवहन का विकास
- भारत में रेल परिवहन की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से थाणे के बीच 34 किलोमीटर लंबी पहली रेल सेवा से हुई।
- प्रारंभ में रेल का विकास ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने लाभ के लिए किया।
- स्वतंत्रता के बाद, भारतीय रेल के विकास पर ध्यान दिया गया, जिससे 1947-48 में रेलमार्ग की लंबाई 54,000 किमी से बढ़कर 2006-07 में 63,327 किमी हो गई।
- भारतीय रेलवे को प्रशासनिक सुविधा के लिए 16 जोन में विभाजित किया गया है।
भारतीय रेलवे की विशेषताएँ
- राजधानी एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस: बड़े शहरों और महानगरों को जोड़ने के लिए।
- जन-शताब्दी एक्सप्रेस: छोटे शहरों को महानगरों से जोड़ने के लिए।
- DMU, EMU, MEMU: बड़े शहरों में दैनिक यात्रियों के लिए।
- माल ढुलाई के लिए प्राइवेट कंटेनर और वैगन।
- मेट्रो रेल सेवा: कोलकाता और दिल्ली में भूमिगत परिवहन।
- पर्वतीय रेलवे: शिमला, ऊटी, दार्जिलिंग जैसे पर्यटन स्थलों के लिए।
विशेष रेलगाड़ियाँ:
- पैलेस ऑन व्हील्स (राजस्थान) और डेक्कन ओडिसी (महाराष्ट्र)।
- जीवन रेखा एक्सप्रेस: विश्व का पहला चलंत अस्पताल रेल सेवा।
उपलब्धियाँ:
- 31 मार्च 2007 तक भारतीय रेल के पास 6909 स्टेशन, 8153 इंजन और 45360 यात्री गाड़ियाँ थीं।
- एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी रेल प्रणाली।
- कोंकण रेलवे: 760 किमी लंबी परियोजना में 92 सुरंगें और 6.5 किमी की सबसे लंबी सुरंग।
भारतीय रेलमार्ग के प्रमुख गेज:
- बड़ी लाइन (1.676 मीटर): 74% (49820 किमी)।
- मीटर लाइन (1.000 मीटर): 21% (10621 किमी)।
- छोटी लाइन (0.762 मीटर और 0.610 मीटर): 5% (2886 किमी)।
भारतीय रेलवे का महत्व:
- दैनिक यात्री परिवहन और माल ढुलाई में योगदान।
- औद्योगिक विकास के लिए कच्चे माल और तैयार माल का परिवहन।
- आयातित सामान को बंदरगाहों से देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाना।
- भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को जोड़ने में प्रमुख भूमिका।
भारतीय रेलवे की समस्याएँ
- बिना टिकट यात्रा से राजस्व हानि।
- मानव रहित समपार फाटक पर दुर्घटनाएँ।
- आतंकी और नक्सली घटनाओं से संपत्ति की बर्बादी।
- यात्रियों द्वारा अनावश्यक जंजीर खींचना।
पाइपलाइन मार्ग
पाइपलाइन का महत्व:
- पाइपलाइन का उपयोग अब केवल पानी के परिवहन तक सीमित नहीं है, बल्कि पेट्रोलियम और गैस जैसे तरल पदार्थों के परिवहन के लिए भी किया जाता है।
- यह मरुस्थलों, जंगलों, पर्वतीय क्षेत्रों, मैदानी भागों और समुद्र के नीचे से होकर परिवहन का एक सशक्त माध्यम बन चुका है।
भारत में पाइपलाइन:
- भारत में पाइपलाइन का भविष्य मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस उद्योग पर निर्भर है।
- कच्चे तेल को उत्पादन क्षेत्रों से शोधनशालाओं तक और फिर तेल उत्पादों को बाजारों तक पाइपलाइनों द्वारा भेजा जाता है।
- शोधनशालाओं से प्राप्त उत्पादों (एल.पी.जी., मोटर गैसोलीन, नेप्था, डीजल, आदि) को पाइपलाइनों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है।
- ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में बदलकर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाने लगा है।
पाइपलाइन का वितरण:
- भारत में पाइपलाइनों को मुख्यतः दो वर्गों में बांटा जा सकता है:
- (i) तेल पाइपलाइन: कच्चा तेल पाइपलाइन, तेल उत्पाद पाइपलाइन
- (ii) गैस पाइपलाइन: एल.पी.जी. पाइपलाइन, एच.बी.जे. पाइपलाइन
- प्रमुख पाइपलाइन मार्ग:
- कच्चे तेल के लिए पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, और पश्चिमी भारत में पाइपलाइनों का विस्तार
- गैस पाइपलाइन: गुजरात से उत्तर प्रदेश तक 1730 किलोमीटर लंबी हजीरा-बीजापुर-जगदीशपुर गैस पाइपलाइन
पेट्रोलियम उत्पादों के वितरण के पाइपलाइन मार्ग:
- गुवाहाटी-सिलीगुड़ी पाइपलाइन, बरौनी-कानपुर लखनऊ पाइपलाइन, कोच्चि-कारूर पाइपलाइन, मुम्बई-मनमाड-इंदौर पाइपलाइन, आदि प्रमुख हैं।
क्या आप जानते हैं?
- स्टील पाइप को बिटुमिन की परत और ग्लास फाइबर से कवर कर जंग से बचाया जाता है।
वायुमार्ग
वायु परिवहन का महत्व:
- वायुमार्ग लंबी दूरी की आरामदायक यात्रा के लिए तेज, आधुनिक और महंगा साधन है।
- यह भारत के विभिन्न शहरों और औद्योगिक केंद्रों को आपस में जोड़ने का कार्य करता है।
भारत में वायु परिवहन:
- भारत में वायु परिवहन की शुरुआत 1911 में हुई थी।
- 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया और इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया को जिम्मेदारी सौंपी गई।
- इंडियन एयरलाइंस 2005 से ‘इंडियन’ नाम से जाना जाने लगा।
- प्रमुख निजी एयरलाइंस: जेट एयरवेज, सहारा एयरलाइंस, गो एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस, आदि।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा 2007-2008 में 13.08 लाख हवाई उड़ानों का संचालन किया गया।
वायु परिवहन के फायदे:
- यह किसी भी भूभाग को पार करने का एकमात्र तरीका है जहाँ सड़क और रेलमार्ग से पहुंचना मुश्किल हो।
- भारत के 103 देशों के साथ द्विपक्षीय विमान सेवा समझौते हैं।
जलमार्ग
जलमार्ग का प्रकार:
जलमार्ग को दो प्रकारों में बांटा जाता है:
- आंतरिक जलमार्ग
- अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग
भारत में जलमार्ग:
- भारत में लगभग 14500 किलोमीटर लंबे जलमार्ग हैं।
- आंतरिक जलमार्गों में नदियाँ, नहरें और झीलों का उपयोग किया जाता है।
- प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग:
- राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (इलाहाबाद से हल्दिया)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (सादिया से धुबरी)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-3 (कोलम से कोट्टापुरम)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-4 (गोदावरी-कृष्णा नदियों के सहारे)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-5 (ईस्ट-कोस्ट कनाल, महानदी डेल्टा)
भारत और बांग्लादेश के बीच जलमार्ग संधि:
- दोनों देशों के बीच जलमार्ग से परिवहन के लिए संधि है, जिससे एक देश के जहाज दूसरे देश में जा सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग:
- भारत के पास 7517 किलोमीटर लंबा समुद्री तट है, जहाँ 12 बड़े और 200 छोटे बंदरगाह विकसित हैं।
- देश का 90% व्यापार समुद्री मार्गों से होता है।
संचार
- संदेशों का आदान-प्रदान संचार कहलाता है।
- मानव ने अपनी आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर संचार के विभिन्न साधनों का विकास किया है।
- प्राचीन काल में संदेशों को ताली, ढोल, आग जलाकर या अन्य तरीके से भेजा जाता था।
- मध्यकाल में तेज दौड़ने वाले व्यक्तियों और कबूतरों के द्वारा संदेश भेजे जाते थे।
- आधुनिक काल में संचार के ऐसे साधन विकसित किए गए हैं जो शीघ्र और दूर-दूर तक संदेश पहुंचा सकते हैं।
संचार के प्रमुख साधन:
- डाक सेवा, टेलीग्राम, टेलीफोन, फैक्स, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, इंटरनेट, ईमेल, मोबाइल, इत्यादि।
वर्तमान समय में संचार का महत्व:
- घरेलू, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संचार का महत्वपूर्ण योगदान है।
- बाढ़, तूफान, आतंकी गतिविधियों के समय अद्यतन जानकारी संचार साधनों से ही मिलती है।
- संचार सुविधाओं के बिना समाज की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
भारत में संचार सुविधाएँ
डाक सेवा:
- भारत में 1837 ई. में डाक सेवा की शुरुआत हुई थी, जो ईस्ट इंडिया कंपनी की देन थी।
- 1854 ई. में भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई।
- आज भारतीय डाक सेवा कंप्यूटरीकृत और उपग्रहों से जुड़ी हुई है।
- भारत में डाक सेवा को 8 डाक क्षेत्रों में बांटा गया है और पिनकोड प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
- बिहार और झारखंड पिनकोड संख्या-8 में आते हैं।
डाक विभाग के चैनल
- राजधानी चैनल: नई दिल्ली से 6 विशेष राज्यों की राजधानियों के लिए डाक सेवा।
- मेट्रो चैनल: बेंगलुरू, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई आदि के लिए डाक सेवा।
- ग्रीन चैनल: स्थानीय पिनकोड वाले डाक पत्रों के लिए।
- दस्तावेज चैनल: समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए डाक सेवा।
- भारी चैनल: बड़े व्यावसायिक संगठनों के डाक पत्रों के लिए।
- व्यापार चैनल: छोटे व्यापारिक संगठनों के डाक पत्रों के लिए।
डाक विभाग की अन्य सेवाएँ:
- स्पीड पोस्ट, एक्सप्रेस पोस्ट, डाटा पोस्ट, ग्रीटिंग पोस्ट, ई-पोस्ट, बिल पोस्ट जैसी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
दूर संचार सेवाएँ:
- भारत में लगभग 26 करोड़ वायरलेस फोन उपभोक्ता हैं, और मोबाइल फोन सबसे प्रचलित सेवा है।
- एस.टी.डी. सेवा भी शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध है।
- भारत दूर संचार तंत्र में एशिया में अग्रणी है।
रेडियो और टेलीविजन:
- भारत में रेडियो का प्रसारण 1923 में शुरू हुआ और इसे 1936 में ‘आकाशवाणी’ नाम दिया गया।
- टेलीविजन सेवा 1959 में शुरू हुई, और 1976 में इसे ‘दूरदर्शन’ नाम दिया गया।
- 1982 में एशियाई खेलों के दौरान रंगीन प्रसारण की शुरुआत हुई।
समाचार पत्र और पत्रिकाएँ:
- भारत में 65 हजार से अधिक पत्र/पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, जिनमें सबसे अधिक हिन्दी में होती हैं।
संचार के प्रभाव:
- परिवहन और संचार के साधन सामाजिक-सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
- इन साधनों के बिना आर्थिक क्रियाएँ असंभव हो जाती हैं।
- जीवन जीने के लिए इन साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
- दो देशों के बीच सामानों और सेवाओं के क्रय-विक्रय को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
- यह किसी राष्ट्र की आर्थिक संपन्नता का मापक होता है।
आयात, निर्यात और व्यापार संतुलन
- आयात (Import): बाहरी देशों से सामान लाना।
- निर्यात (Export): अपने देश से बाहरी देशों को सामान भेजना।
- व्यापार संतुलन: आयात और निर्यात का अंतर।
- अनुकूल संतुलन: निर्यात > आयात।
- प्रतिकूल संतुलन: आयात < निर्यात।
भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
- 1950-51 में भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ₹1214 करोड़ था।
- 2007-08 में यह बढ़कर ₹1605022 करोड़ हो गया।
- निर्यात की अपेक्षा आयात तेजी से बढ़ रहा है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ रहा है।
- भारत का व्यापार एशिया, ओशियाना, यूरोप और अमेरिका के साथ होता है।
मुख्य निर्यात वस्तुएँ:
- इंजीनियरिंग उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न-आभूषण, वस्त्र, कृषि उत्पाद।
मुख्य आयात वस्तुएँ:
- पेट्रोलियम उत्पाद, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना-चाँदी, उर्वरक।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ):
- कांडला (गुजरात) एशिया में पहला निर्यात संवर्धन क्षेत्र (EPZ)।
- भारत के 8 निर्यात संवर्द्धन क्षेत्रों को ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)’ में बदल दिया गया।
निष्कर्ष
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारत की आर्थिक प्रगति का प्रतिबिंब है।
- निर्यात को बढ़ावा देने और व्यापार घाटा कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है।