भारत में राष्ट्रवाद – Bihar Board 10th History Chapter 4 Solutions

भारत में राष्ट्रवाद – Nationalism in India

अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

1. गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की?
(क) गुरदयाल सिंह, 1916
(ख) चन्द्रशेखर आजाद, 1920
(ग) लाला हरदयाल, 1913
(घ) सोहन सिंह भाखना, 1918
उत्तर: (ग) लाला हरदयाल, 1913

2. जालियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ?
(क) 13 अप्रैल 1919 ई०
(ख) 14 अप्रैल 1919 ई०
(ग) 15 अप्रैल 1919 ई०
(घ) 16 अप्रैल 1919 ई०
उत्तर: (क) 13 अप्रैल 1919 ई०

3. लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?
(क) 1916
(ख) 1918
(ग) 1920
(घ) 1922
उत्तर: (क) 1916

4. असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव किस अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता
(ख) अक्टूबर 1920, अहमदाबाद
(ग) नवम्बर 1920, फैजपुर
(घ) दिसम्बर 1920, नागपुर
उत्तर: (क) सितम्बर 1920, कलकत्ता

5. भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ?
(क) 1920, तुर्की
(ख) 1920, अरब
(ग) 1920, फ्रांस
(घ) 1920, जर्मनी
उत्तर: (क) 1920, तुर्की

6. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ?
(क) 1920, भुज
(ख) 1930, अहमदाबाद
(ग) 1930, दांडी
(घ) 1930, एल्बा
उत्तर: (ग) 1930, दांडी

7. पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) 1929, लाहौर
(ख) 1931, कराँची
(ग) 1933, कलकत्ता
(घ) 1937, बेलगाँव
उत्तर: (क) 1929, लाहौर

8. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की?
(क) 1923, गुरू गोलवलकर
(ख) 1925, के० बी० हेडगेवार
(ग) 1926, चितरंजन दास
(घ) 1928, लालचंद
उत्तर: (ख) 1925, के० बी० हेडगेवार

9. बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई?
(क) बारदोली
(ख) अहमदाबाद
(ग) खेड़ा
(घ) चंपारण
उत्तर: (क) बारदोली

10. रम्पा विद्रोह कब हुआ?
(क) 1916
(ख) 1917
(ग) 1918
(घ) 1919
उत्तर: (क) 1916

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

  1. बाल गंगाधर तिलक और __ ने होमरूल लीग आन्दोलन को शुरू किया।
    उत्तर: एनी बेसेंट
  2. __ भारत में खिलाफत आन्दोलन के नेता थे।
    उत्तर: महात्मा गांधी
  3. फरवरी को __ आन्दोलन स्थगित हो गया।
    उत्तर: 12, 1922, असहयोग
  4. साइमन कमीशन के अध्यक्ष __ थे।
    उत्तर: सर जॉन साइमन
  5. में कर के विरोध में आन्दोलन आरंभ हुआ।
    उत्तर: 1857, भू-राजस्व
  6. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष __ थे।
    उत्तर: व्योमेशचंद्र बनर्जी
  7. अप्रैल को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन __ हुआ।
    उत्तर: 11, 1936, लखनऊ में
  8. उड़िसा में में विद्रोह हुआ।
    उत्तर: 1914, खोंड

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:

1. खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ?
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन तुर्की के खलीफा के समर्थन में भारत में शुरू हुआ, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद कमजोर हो गए थे।

2. रॉलट एक्ट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
रॉलट एक्ट ब्रिटिश कानून था जो बिना मुकदमे के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता था, इसका व्यापक विरोध हुआ।

3. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
दांडी यात्रा का उद्देश्य नमक कर का विरोध करना और भारत में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता फैलाना था।

4. गाँधी-इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?
उत्तर:
गाँधी-इरविन पैक्ट 1931 का समझौता था जिसमें गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त करने का वादा किया और कैदियों की रिहाई हुई।

5. चम्पारण सत्याग्रह का संक्षिप्त वर्णन दें?
उत्तर:
चम्पारण सत्याग्रह 1917 में गाँधीजी द्वारा बिहार में नील की खेती करने वाले किसानों के समर्थन में ब्रिटिश नील किसानों के शोषण के खिलाफ किया गया था।

6. मेरठ षडयंत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: मेरठ षडयंत्र 1929 में ब्रिटिश सरकार द्वारा कई मजदूर नेताओं को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने की घटना थी, जिसे स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा माना गया।

7. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं, संक्षेप में लिखें?
उत्तर:
जतरा भगत एक आदिवासी नेता थे जिन्होंने 1914 में उलगुलान आंदोलन शुरू किया था, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष था।

8. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर:
1920 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और मजदूर वर्ग की स्थिति सुधारने के उद्देश्य से की गई थी।

सुमेलित करें:
उत्तर:
(i) गाँधीवादी चरण — (ग) 1919-47
(ii) चौरी-चौरा हत्याकांड — (क) 5 फरवरी, 1922
(iii) कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष — (च) व्योमेश चंद्र बनर्जी
(iv) बंगाल विभाजन वापस — (ङ) 1911
(v) हिन्दु महासभा — (च) मदन मोहन मालवीय
(vi) मोपला विद्रोह — (घ) केरल

लघु उत्तरीय प्रश्न:

1. असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे?
उत्तर:
असहयोग आंदोलन 1920 में महात्मा गाँधी द्वारा शुरू किया गया पहला जन आंदोलन था, जिसमें आम जनता को अंग्रेजों के विरुद्ध शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने हेतु प्रेरित किया गया। इसमें विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, सरकारी संस्थाओं से त्यागपत्र, और करों का भुगतान न करने जैसे कदम उठाए गए, जो इसे एक व्यापक जन आंदोलन बनाते हैं।

2. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणामस्वरूप ब्रिटिश शासन को भारतीयों की एकता और स्वतंत्रता की मांग को समझने का अवसर मिला। इस आंदोलन के दौरान दांडी यात्रा ने नमक कानून का विरोध किया और जनता में जागरूकता फैलाई। अंततः गाँधी-इरविन समझौता हुआ और कई कैदियों को रिहा किया गया, जिससे आंदोलन की शक्ति प्रकट हुई।

3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों मे हुई?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में ए.ओ. ह्यूम द्वारा ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ राजनीतिक मंच उपलब्ध कराने के लिए की गई। इसका उद्देश्य भारतीयों की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाना था। अंग्रेजों की अत्याचारपूर्ण नीतियों के चलते भारतीयों को एकजुट होने की आवश्यकता महसूस हुई, जिससे कांग्रेस की स्थापना हुई।

4. बिहार के किसान आंदोलन पर एक टिप्पणी लिखें?
उत्तर:
बिहार में किसान आंदोलन का नेतृत्व मुख्यतः चम्पारण सत्याग्रह से हुआ। 1917 में गाँधीजी ने नील किसानों की समस्याओं को उठाते हुए उनके शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। इस आंदोलन से बिहार के किसानों में आत्मविश्वास बढ़ा और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को प्रेरित हुए। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख हिस्सा बना।

5. स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर:
1923 में सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी की स्थापना की। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के विधानसभाओं में प्रवेश कर विरोध करना और शासन के भीतर से विरोध करना था। यह पार्टी कांग्रेस का हिस्सा थी और पूर्ण स्वराज प्राप्ति तथा भारत की स्वतंत्रता के लिए कार्यरत रही।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

1. प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अंर्तसंबंधों की विवेचना करें?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक रूप से प्रभावित किया। युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारत से सैनिक और आर्थिक संसाधन जुटाए, जिससे महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी बढ़ी। भारतीय जनता को उम्मीद थी कि युद्ध में सहयोग के बदले स्वशासन मिलेगा। लेकिन इसके विपरीत, अंग्रेजों ने रॉलट एक्ट जैसे दमनकारी कानून लागू किए। युद्ध के बाद गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन की नींव रखी, जिससे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा मिली। जालियाँवाला बाग नरसंहार ने जनता के भीतर अंग्रेजों के प्रति आक्रोश को और बढ़ाया। युद्धकालीन परिस्थितियों ने भारतीय नेताओं को स्वराज के लिए संघर्ष को और तेज करने के लिए प्रेरित किया। इस अवधि ने भारतीय जनता में एक राजनीतिक जागरूकता उत्पन्न की और स्वतंत्रता संग्राम के लिए नई ऊर्जा प्रदान की।

2. असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।
उत्तर:
असहयोग आंदोलन (1920) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का एक प्रमुख चरण था। इसके कारणों में रॉलट एक्ट, जालियाँवाला बाग हत्याकांड, खिलाफत आंदोलन, और ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियाँ शामिल थीं। गाँधीजी ने स्वराज प्राप्ति के लिए जनता को अहिंसात्मक असहयोग का आह्वान किया। विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, करों का न भुगतान, और सरकारी संस्थाओं से इस्तीफे इसके प्रमुख कदम थे। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप भारतीय जनता में राजनीतिक जागरूकता बढ़ी और स्वतंत्रता के लिए संगठित होने का आत्मविश्वास आया। चौरी-चौरा कांड के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसात्मक विरोध की नींव रखी। इस आंदोलन ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया और भारत की स्वतंत्रता के लिए एक व्यापक जनाधार तैयार किया।

3. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) का मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियों, विशेषकर नमक कर और भूमि कर, का विरोध था। 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया, जिसके बाद गाँधीजी ने दांडी यात्रा के जरिए नमक कानून तोड़कर आंदोलन की शुरुआत की। अन्य कारणों में ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियाँ, भारतीय उद्योगों का शोषण, और राजनीतिक स्वतंत्रता की माँग शामिल थीं। यह आंदोलन जनता को सीधे ब्रिटिश कानूनों की अवज्ञा के लिए प्रेरित करता था। किसानों ने करों का बहिष्कार किया, महिलाओं ने आंदोलन में भाग लिया, और व्यापारियों ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और तेज किया और ब्रिटिश सरकार पर भारतीय जनता की मांगों को मानने का दबाव डाला।

4. भारत में मजदूर आन्दोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में मजदूर आंदोलन का विकास औद्योगिकीकरण के साथ शुरू हुआ। 19वीं सदी के अंत में मजदूरों की खराब स्थिति और लंबे कार्यकाल ने उन्हें संगठित होने को प्रेरित किया। 1920 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना ने मजदूर आंदोलनों को गति दी। बॉम्बे और कलकत्ता में मजदूर हड़तालें हुईं, जिनमें कपड़ा मिलों और रेलवे मजदूरों ने भाग लिया। मजदूर आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अभिन्न हिस्सा बन गया। 1940 के दशक में, इन आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनसंघर्ष को और तीव्र किया। मजदूर वर्ग ने विदेशी शासन और आर्थिक शोषण के खिलाफ व्यापक विरोध किया। इन आंदोलनों ने न केवल मजदूरों के अधिकारों को स्थापित किया बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में श्रमिकों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बनाया।

5. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर:
महात्मा गाँधी का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान ऐतिहासिक है। 1915 में भारत लौटने के बाद उन्होंने चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह के जरिए शोषित किसानों के लिए संघर्ष किया। 1920 में असहयोग आंदोलन के माध्यम से उन्होंने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी का प्रचार किया। 1930 में दांडी यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनता को संगठित किया। भारत छोड़ो आंदोलन (1942) ने स्वतंत्रता संग्राम को चरम पर पहुँचा दिया। गाँधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाकर आंदोलन को नैतिक और शांतिपूर्ण बनाया। उन्होंने सामाजिक सुधार जैसे अस्पृश्यता उन्मूलन, महिलाओं की भागीदारी, और धार्मिक एकता पर जोर दिया। उनके नेतृत्व ने स्वतंत्रता संग्राम को जनांदोलन में बदल दिया और भारत की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई।

6. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखाकिंत करें।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1920-30 के दशक में भगत सिंह और उनके साथियों ने समाजवाद और क्रांति को बढ़ावा दिया। वामपंथियों ने मजदूरों और किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर रहकर आर्थिक समानता और ब्रिटिश शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने किसानों के आंदोलनों और औद्योगिक हड़तालों में भाग लिया। उन्होंने स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक न्याय को आंदोलन का हिस्सा बनाया। वामपंथी विचारधारा ने स्वतंत्रता संग्राम को गरीब वर्गों और हाशिए पर रहने वालों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। इनके संघर्षों ने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक बनाया और सामाजिक समानता का मार्ग प्रशस्त किया।


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