समाजवाद एवं साम्यवाद – Bihar Board 10th History Chapter 2 Notes

समाजवाद एवं साम्यवाद – Socialism and Communism

समाजवाद

  • समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसके अनुसार उत्पादन के सभी साधनों पर स्वामित्व मुख्यतः सरकार का होना चाहिए।

समाजवाद की उत्पत्ति

  • औद्योगिक क्रांति के कारण पूंजीपति वर्गों द्वारा श्रमिक वर्ग का अत्यधिक शोषण होता था।
  • आर्थिक दृष्टि से समाज दो वर्गों – पूंजीपति वर्ग और श्रमिक वर्ग – में विभाजित हो गया था।
  • सेंट साइमन, फोरियर, लुई बलां, ब्रा, राबर्ट ओवेन, कार्ल मार्क्स एवं एंगेल्स जैसे विचारकों ने इस पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था की कड़ी आलोचना की।
  • इन विचारकों ने सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में एक नवीन विचारधारा का प्रतिपादन किया जिसे ‘समाजवाद’ कहा जाता है।

दो तरह के समाजवाद

  • ऐतिहासिक दृष्टि से समाजवाद का विभाजन दो चरणों में किया जाता है:
    1. मार्क्स से पूर्व का समाजवाद (यूटोपियन)
    2. मार्क्स से पक्ष का समाजवाद (वैज्ञानिक)

यूटोपियन समाजवाद

प्रमुख विचारक: सेंट साइमन, चार्ल्स फोरियर, लुई बलां, राबर्ट ओवेन

  • इन समाजवादियों की दृष्टि आदर्शवादी और उनके कार्यक्रम की प्रकृति अव्यावहारिक थी।
  • इन्होंने वर्ग समन्वय पर बल दिया।
  • उन्होंने पूंजी और श्रम के बीच संबंधों की समस्या का समाधान करने का प्रयास किया।
  • मार्क्स ने इनकी सीमाओं को पहचाना और आगे आधुनिक समाजवाद का विकास किया।

कार्ल मार्क्स (1818-1883)

समाजवाद एवं साम्यवाद
कार्ल मार्क्स
  • जन्म: 5 मई 1818, ट्रियर नगर (जर्मनी), एक यहूदी परिवार में
  • शिक्षा: बोन विश्वविद्यालय में विधि
  • प्रभावित विचारक: हीगेल, मोंटेस्क्यू, रूसो
  • 1844 में पेरिस में फ्रेडरिक एंगेल्स से मुलाकात हुई, जो जीवनपर्यंत मित्र बने।
  • 1848 में मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर ‘साम्यवादी घोषणा पत्र’ प्रकाशित किया।
  • 1867 में लिखी गई ‘दास कैपिटल’ को समाजवादियों की बाइबिल कहा जाता है।

मार्क्स के प्रमुख सिद्धांत:

  1. द्वंदात्मक भौतिकवाद
  2. वर्ग संघर्ष
  3. इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
  4. मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
  5. राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना

ऐतिहासिक भौतिकवाद

  • मार्क्स के अनुसार इतिहास उत्पादन के साधनों के स्वामित्व हेतु वर्गों के बीच संघर्ष की कथा है।
  • हर ऐतिहासिक परिवर्तन के मूल में आर्थिक शक्तियां होती हैं।

इतिहास के छः चरण:

  1. आदिम साम्यवादी युग
  2. दासता का युग
  3. सामंती युग
  4. पूंजीपति युग
  5. समाजवादी युग
  6. साम्यवादी युग

मार्क्स तथा प्रथम अंतर्राष्ट्रीय संघ

  • 1864 में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय संघ की स्थापना हुई।
  • उद्घाटन भाषण में मार्क्स ने कहा कि श्रमिकों का सुधार पूंजीवाद के विनाश से ही संभव है।
  • प्रमुख नारा: “अधिकार के बिना कर्तव्य नहीं और कर्तव्य के बिना अधिकार नहीं।”

द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संघ

  • 14 जुलाई को पेरिस में 20 देशों के 400 प्रतिनिधियों का सम्मेलन हुआ।
  • निर्णय: 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
  • 1890 में पहली बार 1 मई को यूरोप और अमेरिका में मजदूरों ने हड़ताल की।
  • इससे समाजवादी आंदोलन को वैश्विक पहचान मिली।

1917 की बोल्शेविक क्रांति

  • नवंबर 1917 में रूस में बोल्शेविक क्रांति हुई और जार शासन का अंत हुआ।

मुख्य कारण:

  1. जार की निरंकुशता
  2. कृषकों एवं मजदूरों की दयनीय स्थिति
  3. औद्योगीकरण की समस्या
  4. रुसीकरण नीति
  5. विदेशी प्रभाव (क्रीमिया युद्ध, जापान से हार, 1905 की क्रांति)
  6. खूनी रविवार (22 जनवरी)
  7. मार्क्सवाद एवं बुद्धिजीवियों का प्रभाव
  8. प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय

मार्च की क्रांति एवं निरंकुश राजतंत्र का अंत

  • 7 मार्च 1917 को ‘रोटी दो’ नारे के साथ जुलूस निकला।
  • 8 मार्च को महिलाओं ने हड़ताल की और सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।
  • 12 मार्च को जार निकोलस द्वितीय ने गद्दी त्याग दी।
  • 15 मार्च को लोबाव की अध्यक्षता में बुर्जुआ सरकार बनी लेकिन असफल रही।
  • केरेंस्की के नेतृत्व में उदार समाजवादियों की सरकार बनी परंतु बोल्शेविकों ने इसे अस्वीकार कर दिया।

बोल्शेविक क्रांति (नवंबर 1917)

समाजवाद एवं साम्यवाद
लेनिन
  • लेनिन स्विट्जरलैंड से जर्मनी की मदद से रूस लौटे।
  • उन्होंने ‘अप्रैल थीसिस’ में भूमि, शांति और रोटी के नारे दिए।
  • 7 नवंबर 1917 को बोल्शेविकों ने सरकार को उखाड़ फेंका और सत्ता संभाली।

U.S.S.R का जन्म और लेनिन की सरकार

  • 1918 में रूस में पहला समाजवादी शासन स्थापित हुआ।
  • देश का नाम ‘सोवियत समाजवादी गणराज्य का समूह’ (U.S.S.R) रखा गया।
  • लेनिन ने युद्ध-साम्यवाद नीति लागू की जिससे भुखमरी बढ़ी।
  • इस स्थिति के सुधार हेतु ‘नई आर्थिक नीति’ (NEP) लाई गई।

स्टालिन

  • 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद स्टालिन सत्ता में आया।
  • वह कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव रहा और 1953 तक तानाशाही रूप में शासन किया।
  • उसके शासन में समाजवाद का विकास प्रभावित हुआ, परंतु रूस एक शक्तिशाली राष्ट्र बना।

रूसी क्रांति का प्रभाव

  1. सर्वहारा वर्ग की सत्ता की स्थापना हुई।
  2. दुनिया दो भागों में बंट गई – साम्यवादी और पूंजीवादी।
  3. शीतयुद्ध की शुरुआत हुई।
  4. पूंजीवादी देशों के ढांचे में भी सुधार हुआ।
  5. उपनिवेशों की मुक्ति को बल मिला।

समाजवाद एवं साम्यवाद – Bihar Board 10th History Chapter 2 Notes

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